मंगलवार, 15 नवंबर 2016

बरगद का पेड़ एक चमत्कारिक उपहार है क्योंकि यह 64 रोगों की एक अचूक औषिधि है

बरगद का पेड़ एक चमत्कारिक उपहार है क्योंकि यह 64 रोगों की एक अचूक औषिधि है

आश्चर्यचकित रह जायेंगे आप बरगद के यह गुण जानकर आयुर्वेद में : बरगद का पेड़ एक चमत्कारिक उपहार है क्योंकि यह 64 रोगों की एक अचूक औषिधि है
• गुण : बरगद का पेड़ कषैला, शीतल, मधुर, पाचन शक्तिवर्धक, भारी, पित्त, कफ (बलगम), व्रणों (जख्मों), धातु (वीर्य) विकार, जलन, योनि विकार, ज्वर (बुखार), वमन (उल्टी), विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल) तथा दुर्बलता को खत्म करता है। यह दांत के दर्द, स्तन की शिथिलता (स्तनों का ढीलापन), रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर (स्त्रियों का रोग), स्वप्नदोष, कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, बहुमूत्र (बार-बार पेशाब का आना), अतिसार (दस्त), बेहोशी, योनि दोष, गलित कुष्ठ (कोढ़), घाव, बिवाई (एड़ियों का फटना), सूजन, वीर्य का पतलापन, बवासीर, पेशाब में खून आना आदि रोगों में गुणकारी है।


64 रोगों की एक दवा बरगद का पेड़ :
1. बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं।
2. बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें, इस तेल को बालों में लगाने से ‪#‎बालों‬ के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
3. 25-25 ग्राम बरगद की जड़ और जटामांसी का चूर्ण, 400 मिलीलीटर तिल का तेल तथा 2 लीटर गिलोय का रस को एकसाथ मिलाकर धूप में रख दें, इसमें से पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश से ‪#‎गंजापन‬ दूर होकर बाल आ जाते हैं और बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।
4. बरगद की जटा और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर सिर पर लगायें। इसके आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर ऊपर से भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाते रहने से ‪#‎बाल‬ कुछ दिन में ही घने और लंबे हो जाते हैं।
5. दही के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को ‪#‎जले‬ हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है।
6. जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से ‪#‎जलन‬ कम हो जाती है।
7. नाक में बरगद के दूध की 2 बूंदें डालने से ‪#‎नकसीर‬ (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
8. 3 ग्राम बरगद की जटा के बारीक पाउडर को दूध की लस्सी के साथ पिलाने से ‪#‎नाक‬ से खून बहना बंद हो जाता है।
9. बरगद के कड़े हरे शुष्क पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर पानी में पकायें, चौथाई बच जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से हर समय आलस्य और नींद का आना कम हो जाता है।
10. बिवाई की फटी हुई दरारों पर बरगद का दूध भरकर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में वह ठीक हो जाती है।
11. बरगद के लाल रंग के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। फिर आधा किलो पानी में इस पाउडर को 1 या आधा चम्मच डालकर पकायें, पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर मिलाकर सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम और नजला आदि रोग दूर होते हैं और सिर की कमजोरी ठीक हो जाती है।
12. 10 ग्राम बरगद के कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक सेवन करने से ‪#‎दिल‬ की घड़कन सामान्य हो जाती है।
13. बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करने से दिल के रोग में लाभ मिलता है।
14. कमर दर्द में बरगद़ के दूध की मालिश दिन में 3 बार कुछ दिन करने से कमर दर्द में आराम आता है। बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से ‪#‎कमर‬ दर्द से छुटकरा मिलता है। कमर दर्द में बरगद के पेड़ का दूध लगाने से लाभ होता है।बरगद के पेड़ के फल को सुखाकर बारीक पाउडर लेकर मिश्री के बारीक पाउडर मिला लें। रोजाना सुबह इस पाउडर को 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।
15. सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से ‪#‎शीघ्रपतन‬, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं और यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।
16. बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से ‪#‎नपुंसकता‬ दूर होती है।
17. बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन करते रहने से कुछ हफ्तों में यौन शक्ति में बहुत लाभ मिलता है। 3-3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें फिर इसे तीन बार मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से ‪#‎वीर्य‬ बढ़ता है और संभोग से खत्म हुई शक्ति लौट आती है।
18. बरगद के दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे डालकर खायें, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए घटाना शुरू करें। इससे प्रमेह और‪#‎स्वप्न‬ दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।
19. 25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें। इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से #वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
20. बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के‪#‎शुक्राणु‬ बढ़ते है।
21. बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं।
22. बरगद का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है। बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से‪#‎उपदंश‬ रोग में लाभ होता है।
23. बरगद के पत्तों से बना काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-3 बार सेवन करने से ‪#‎पेशाब‬ की जलन दूर हो जाती है। यह काढ़ा सिर के भारीपन, नजला, जुकाम आदि में भी फायदा करता है।
24. बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर बने लेप को रोजाना सोते समय ‪#‎स्तनों‬ पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Search This Website